बाल आयोग पर लगाया मनमानी का आरोप

बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कहा कि कुछ निजी स्कूल संचालकों की ओर से आयोग के कार्यों पर सवाल उठाने की जानकारी मिली है। आयोग आदेश देने से पहले संबंधित पक्षों को सुनता है। अगर निर्णय से कोई असंतुष्ट होता है तो न्यायालय जाकर अपील कर सकता है।


 

उन्होंने कहा कि निजी स्कूल संचालक अभिभावकों को नियम बताने लगते हैं। कुछ स्कूल आरटीई के तहत गरीब बच्चों को नहीं पढ़ाना चाहते हैं। जबकि स्कूलों से गरीबों का 25 प्रतिशत कोटा पूरा करने को कहा जा रहा है। साथ ही शपथपत्र मांगने पर उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं। चैरिटी के नाम पर चलने वाले स्कूलों से हिसाब मांगा जा रहा है तो वे परेशान हैं।
इससे पहले शुक्रवार को प्रेस क्लब में यूनाइटेड फोरम फॉर अनएडेड स्कूल और प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने पत्रकार वार्ता की। अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि आयोग के निर्देशों से स्कूलों की कार्यप्रणाली में व्यवधान पड़ रहा है। आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों के अभिभावकों का हर छह माह में आय प्रमाणपत्र जांचने का प्रावधान है। बीते दिनों बाल आयोग ने एक स्कूल को अभिभावक से आय प्रमाणपत्र मांगने पर नोटिस भेज दिया। इसी तरह एक स्कूल में तीन भाई-बहनों के पढ़ाई करने पर केवल एक ही बच्चे पर फीस लेने का आदेश भी बाल आयोग ने दिया, जबकि ऐसा कोई नियम नहीं हैं।
एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डीएस मान ने आरोप लगाया आयोग के एक अफसर आयोग की शक्तियों का दुुरुपयोग कर रहे हैं। एसोसिएशन ने कहा कि अधिकारों का गलत प्रयोग न रोकने पर कोई भी स्कूल आयोग से पत्राचार नहीं करेगा और प्रतिनिधि भी नहीं भेजेगा। इस दौरान मदन जीत सिंह, एचके छाबड़ा और मेजर जनरल शमी सब्बरवाल मौजूद रहे।